माया द्वारा प्रभावित हमारे कार्यकलापों के काल्पनिक औचित्य तथा हमारे दर्शन के विषय में उपलबद्ध मनोविचार के नरक में हमें घसीटने हेतु हमारे चहुँ ओर दार्शनिक गर्त हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह पुस्तक पाठकों को ज्ञान-सूचित एवं प्रबुद्ध करेगी तथा कृष्णभावनामृत के अभ्यास को अधिक गंभीरता से लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी। गुरु महाराज ने इस पुस्तक में वास्तविक जीवन की जिन ज्वलंत स्थितियों का वर्णन किया है, वे हमें भटकने की परिस्थिति में वापस पटरी पर ला देंगी। इसके अतिरिक्त, यह पुस्तक निश्चित रूप से हमें रुचिकर प्रतीत होगी, क्योंकि गुरु महाराज दर्शन को अद्वितीय रूप से आकर्षक तथा विनोदपूर्ण परन्तु व्यावहारिक शैली में प्रस्तुत करते हैं। “कृष्ण के धाम की ओर” शीर्षक युक्त यह छोटी निधि स्वयं को उपहार में दें, तथा स्वयं का सदैव आभारी रहें!
कृष्ण के धाम की ओर
माया द्वारा प्रभावित हमारे कार्यकलापों के काल्पनिक औचित्य तथा हमारे दर्शन के विषय में उपलबद्ध मनोविचार के नरक में हमें घसीटने हेतु हमारे चहुँ ओर दार्शनिक गर्त हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह पुस्तक पाठकों को ज्ञान-सूचित एवं प्रबुद्ध करेगी तथा कृष्णभावनामृत के अभ्यास को अधिक गंभीरता से लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी। गुरु महाराज ने इस पुस्तक में वास्तविक जीवन की जिन ज्वलंत स्थितियों का वर्णन किया है, वे हमें भटकने की परिस्थिति में वापस पटरी पर ला देंगी। इसके अतिरिक्त, यह पुस्तक निश्चित रूप से हमें रुचिकर प्रतीत होगी, क्योंकि गुरु महाराज दर्शन को अद्वितीय रूप से आकर्षक तथा विनोदपूर्ण परन्तु व्यावहारिक शैली में प्रस्तुत करते हैं। “कृष्ण के धाम की ओर” शीर्षक युक्त यह छोटी निधि स्वयं को उपहार में दें, तथा स्वयं का सदैव आभारी रहें!
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