आनन्द-दायिनी भक्ति (भक्ति-सोपान का आरोहण)
कृष्णभावनामृत आन्दोलन में विचारशील भक्तों के लिए कालातीत ज्ञान के सौंदर्य संबंधी अंश। श्रीकृष्ण-भक्ति की विधि के प्रति हमारे दृष्टिकोण को उन्नत करने में व्यावहारिक अन्तर्दृष्टि से परिपूर्ण। आध्यात्मिकता की प्राचीन वैदिक अवधारणाओं के औचित्य की व्यावहारिक चर्चा सम्मिलित।
कृष्ण के धाम की ओर
माया द्वारा प्रभावित हमारे कार्यकलापों के काल्पनिक औचित्य तथा हमारे दर्शन के विषय में उपलबद्ध मनोविचार के नरक में हमें घसीटने हेतु हमारे चहुँ ओर दार्शनिक गर्त हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह पुस्तक पाठकों को ज्ञान-सूचित एवं प्रबुद्ध करेगी तथा कृष्णभावनामृत के अभ्यास को अधिक गंभीरता से लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी। गुरु महाराज ने इस पुस्तक में वास्तविक जीवन की जिन ज्वलंत स्थितियों का वर्णन किया है, वे हमें भटकने की परिस्थिति में वापस पटरी पर ला देंगी। इसके अतिरिक्त, यह पुस्तक निश्चित रूप से हमें रुचिकर प्रतीत होगी, क्योंकि गुरु महाराज दर्शन को अद्वितीय रूप से आकर्षक तथा विनोदपूर्ण परन्तु व्यावहारिक शैली में प्रस्तुत करते हैं। “कृष्ण के धाम की ओर” शीर्षक युक्त यह छोटी निधि स्वयं को उपहार में दें, तथा स्वयं का सदैव आभारी रहें!
गौरांग
आधिकारिक गौड़ीय वैष्णव जीवनियों से भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु की कई लीलाओं का रोचक विवरण। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान समय एवं वर्तमान जगत् में इन प्रकरणों से प्राप्त कई निर्देशों की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता पर माननीय लेखक प्रकाश डालते हैं।

प्रेरक अन्तर्दृष्टि
यदि हम स्वयं को इस संसार द्वारा हम पर थोपे जा रहे सभी प्रकार के दुखों से मुक्त करना चाहते हैं, तो हमारी भौतिक स्थिति (अच्छी या बुरी) चाहे जो भी हो, हम सभी को सर्वप्रथम अपनी बुद्धि को शुद्ध करके अपने अस्तित्व को शुद्ध करने की आवश्यकता है। श्री श्रीमद् जयपताका स्वामी लिखित नवीन प्रकाशित ग्रन्थ “प्रेरक अन्तर्दृष्टि” निश्चित रूप से उन सभी को सामर्थ्यवान् बनाएगा जो इसे प्राप्त करने के लिए भाग्यशाली हैं, ताकि वे सभी चौदह लोकों में प्राप्त करने योग्य एकमात्र वस्तु प्राप्त कर सकें। यह वस्तु है : शुद्ध बुद्धि के साथ शुद्ध अस्तित्व जिसके परिणामस्वरूप हमें श्रीकृष्ण के निवास की ओर अपने पग वापस ले जाने में समर्थ बनाएगा, जहाँ विषाद अपने अभाव से स्पष्ट है तथा जहाँ आनन्द शाश्वत विधि है। हम आप सभी अद्भुत भक्तों को प्रोत्साहित करते हैं कि आप स्वयं को श्री श्रीमद् जयपताका स्वामी की पूर्वमेव शुद्ध तथा परिपक्व बुद्धि का परिपक्व फल “प्रेरक अन्तर्दृष्टि” नामक इस महान कृति रूपी उपहार प्रदान करें; तथा इस प्रकार कृष्णभावनामृत के आनन्द को अपने हृदय के नर्तन-मंच पर पुनः नृत्य करने दें तथा कभी न रुकने दें!

सेवा रहस्य
नग्न नेत्रों के लिए, यह ग्रन्थ किसी भी अन्य पुस्तक की भाँति ही स्याही, कागज तथा स्टेपल निर्मित है। परन्तु, जीवन में कम-से-कम एकबार गुरु महाराज के शब्दों के श्रवण से प्राप्त मधुरानन्दाश्रु से स्वच्छ नेत्र युक्त भक्तों के लिए यह किसी अन्य पुस्तक की भाँति नहीं है। उनके लिए, “सेवा रहस्य” परमानन्द की प्रेरणा का निरंतर स्रोत बना रहेगा। अतः, “सेवा रहस्य” नामक गुह्य ज्ञान के इस अमूल्य स्रोत को भीतर प्रवेश देने के लिए अपना हृदय खोलकर इसे चमत्कार दिखाने दें। आपको आनन्द से उन्मत्त बनाने का चमत्कार!
हृदय स्पर्श
कृष्णभावनामृत के विषय में शिक्षाप्रद अंतर्दृष्टि-प्रद विभिन्न प्रवचनों से चयनित उद्धरण। इनमें से कई निर्देशों में व्यावहारिक तथा दार्शनिक दोनों प्रकार के अनुप्रयोग हैं जो इच्छुक भक्तों को उनके आध्यात्मिक जीवन में सहायता करेंगे। ये उत्कृष्ट निर्देश निश्चित रूप से पाठक के हृदय को स्पर्श करेंगे; बाह्य रूप से वे सरल प्रतीत होते हैं, परन्तु आत्मा के स्पर्श हेतु इनकी गम्भीरता उल्लेखनीय है।