सुख की ओर प्रशस्त करने वाला मार्ग कृष्णभावनामृत है, जबकि निराशा की ओर लेप्रशस्त करने वाला मार्ग भौतिक लालसा है। इस पुस्तक में, महाराज ने दोनों मार्गों को एक साथ रखकर पाठक को सफलता के मार्ग से भटककर निराशा के मार्ग पर आने वाली खतरों को देखने की अनुमति दी है।
असीमित आनन्द-पथ पर
सुख की ओर प्रशस्त करने वाला मार्ग कृष्णभावनामृत है, जबकि निराशा की ओर लेप्रशस्त करने वाला मार्ग भौतिक लालसा है। इस पुस्तक में, महाराज ने दोनों मार्गों को एक साथ रखकर पाठक को सफलता के मार्ग से भटककर निराशा के मार्ग पर आने वाली खतरों को देखने की अनुमति दी है।
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